ये दुनिया भी अजीब है!
जितनी गोल उतनी तकलीफ़ है!
अजीब दास्तान है यारों
मिल के भी जो ना मिली वो खुशी है!
क्या कहना इन दुनिया वालों का,
जीत में दुख, हार में हँसी है!
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जीत में दुख, हार में हँसी है!
आओ अब बात करें दुनिया में बसने वालों की,
इनके कई प्रकार और कई रीत हैं!
इनके बीच सदा रहती जंग जारी!
चाहे बसें वो महलो में गलियों में,
यह ना होते कभी एक दूसरे के आभारी!
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आओ अब चलें जवानों की बस्ती में,
इनके दिल में बसती हैं आधुनिक चीज़े, रिश्तों से ज़्यादा!
इनके दिल में बसती हैं आधुनिक चीज़े, रिश्तों से ज़्यादा!
एक तरफ़ ये बात करें बराबरी और फेमिनिस्म की,
और वहीं किसी ग़रीब से मिलने में ये शरमायें!
वाह रे मेरी दुनिया न्यारी,
तेरे रंग और रूप पे मैं जाऊं वारी वारी!
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तेरे रंग और रूप पे मैं जाऊं वारी वारी!
कभी-कभी सोचती हूँ कि क्या करे यह इंसान,
जब रिज़र्वेशन में बँट गया भगवान!
कभी एससी, कभी एसटी, तो कभी वुमन स्पेशल,
जनरल कोटा के नसीब में आए सिर्फ़ स्ट्रगल!
सारी उम्र घिसता और रोता आम आदमी,
क्यूं कि सरकार भी उसे देती सिर्फ़ कोटा!
हाए बड़े मजबूर हैं इस गोले के लोग,
धर्म और कर्म के नाम पे डरते ये लोग!
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धर्म और कर्म के नाम पे डरते ये लोग!
काश इन्हे कोई समझाता,
कि ज़िंदगी जीने की ज़िद्द है!
चन्द पलों की है कहानी,
ना लड़ने या झगडने की प्रीत है!
Edited By: Naresh Dudani
Edited By: Naresh Dudani
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